Monday, April 24, 2017

ગુજરાતી ભાષા નો વૈભવ.....



આશા અમર છે.
અમર પ્રેમ છે.
પ્રેમ સાગર છે.
સાગર કુંવારો છે.
કુંવારો સુખી છે.
સુખી ગાયક છે.
ગાયક ગાય છે.
ગાય માતા છે.
માતા સ્ત્રી છે.
સ્ત્રી શક્તિ છે.
શક્તિ દુધ છે.
દુધ સફેદ છે.
સફેદ કલર છે.
કલર ચેનલ છે.
ચેનલ ચાલુ છે.
ચાલુ આઇટમ છે.
આઇટમ હોટ છે.
હોટ સમર છે.
સમર વેકેશન છે.
વેકેશન લાંબું છે.
લાંબું જીવન છે.
જીવન યાત્રા છે.
યાત્રા સાહસ છે.
સાહસ વીર છે.
વીર જવાન છે.
જવાન અમર છે
  અને
અમર તો આશા છે.

સાલુ...જબરૂ છે નઈ.....

Many Many Happy returns of the day - Sachin Tendulkar

Birthday Messages and Birthday Wishes. Celebrate your birthday today. Celebrate being Happy every day. May your birthday and every day be filled with the warmth of sunshine, the happiness of smiles, the sounds of laughter, the feeling of love and the sharing of good cheer. God bless you , you are legend for everyone. You are also idol for a lot of people who have changed their lives after watching your success story. Really you are great, god pay you in your way.

HAPPY BIRTHDAY TO YOU SACHIN TENDULKAR FROM ME AND SIDDHPURA FAMILY 

Friday, April 21, 2017

Live on the everyone's heart, all Mind will set you up

एक दिन रुक्मणी ने भोजन के बाद,
श्री कृष्ण को दूध पीने को दिया।

दूध ज्यदा गरम होने के कारण
श्री कृष्ण के हृदय में लगा
और
उनके श्रीमुख से निकला-
" हे राधे ! "

सुनते ही रुक्मणी बोली-
प्रभु !
ऐसा क्या है राधा जी में,
जो आपकी हर साँस पर उनका ही नाम होता है ?

मैं भी तो आपसे अपार प्रेम करती हूँ...
फिर भी,
आप हमें नहीं पुकारते !!

श्री कृष्ण ने कहा -देवी !
आप कभी राधा से मिली हैं ?
और मंद मंद मुस्काने लगे...

अगले दिन रुक्मणी राधाजी से मिलने उनके महल में पहुंची ।

राधाजी के कक्ष के बाहर अत्यंत खूबसूरत स्त्री को देखा...
और,
उनके मुख पर तेज होने कारण उसने सोचा कि-
ये ही राधाजी है और उनके चरण छुने लगी !

तभी वो बोली -आप कौन हैं ?

तब रुक्मणी ने अपना परिचय दिया और आने का कारण बताया...

तब वो बोली-
मैं तो राधा जी की दासी हूँ।

राधाजी तो सात द्वार के बाद आपको मिलेंगी !!

रुक्मणी ने सातो द्वार पार किये...
और,
हर द्वार पर एक से एक सुन्दर और तेजवान दासी को देख सोच रही थी क़ि-
अगर उनकी दासियाँ इतनी रूपवान हैं...
तो,
राधारानी स्वयं कैसी होंगी ?

सोचते हुए राधाजी के कक्ष में पहुंची...

कक्ष में राधा जी को देखा-
अत्यंत रूपवान तेजस्वी जिसका मुख सूर्य से भी तेज चमक रहा था।
रुक्मणी सहसा ही उनके चरणों में गिर पड़ी...

पर,
ये क्या राधा जी के पुरे शरीर पर तो छाले पड़े हुए है !

रुक्मणी ने पूछा-
देवी आपके  शरीर पे ये छाले कैसे ?

तब राधा जी ने कहा-
देवी !
कल आपने कृष्णजी को जो दूध दिया...
वो ज्यदा गरम था !

जिससे उनके ह्रदय पर छाले पड गए...
और,
उनके ह्रदय में तो सदैव मेरा ही वास होता है..!!

इसलिए कहा जाता है-

बसना हो तो...
'ह्रदय' में बसो किसी के..!

'दिमाग' में तो..
लोग खुद ही बसा लेते है..!!